सड़क सुरक्षा: एक कड़वा सच
सड़क सुरक्षा: एक कड़वा सच
हम सभी आजकल भारत में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा लगा रहे हैं, लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कैसे बचा सकते हैं? अवश्य सोचा है परन्तु एक महत्वपूर्ण काम करना सभी भूल रहे हैं| उत्सुकता होगी कि अब ऐसा क्या भूल रहे हैं? हम एक सभ्य समाज की बात करते करते हैं और खुद सभ्य बनना नहीं चाहते, कैसे? आज भारतवर्ष में रोजाना एक बड़े विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से भी बड़ी घटना घटती है वो है सड़क हादसे| हर रोज भारत में हर घंटे तक़रीबन १७ लोग अपनी जान सड़क हादसों की वजह से गँवा रहे है जिसको कोई भी समाचार चैनल नहीं दिखाता, वहीँ अगर एक विमान या एक रेल दुर्घटना में १० लोग भी हादसे का शिकार बन जाते हैं तो ५ दिन तक सभी समाचार पत्र प्रमुखता से छापते हैं|
लेकिन अब प्रश्न पैदा ये होता है कि रोजाना जाने वाली मानव जिंदगियों का दोषी कौन है?
इसके मुख्य रूप से तीन चीज़ें दोषी मानी गयी हैं:
१. एक हम सब इंसान (सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने में कोताही)
२. सभी वाहन (अचानक वाहन ख़राब होना, ब्रेक में खराबी इत्यादि)
३. अभियांत्रिकी तथा आधारिक संरचना (सड़क बनाने का तरीका, सड़क में गड्ढे, गलत मोड़, फुटपाथ की कमी इत्यादि)